उत्तराखंड के नैनीताल में विदेशी पर्यटकों को ले जाती ट्रॉली रास्ते मे फंसी।

विदेशियों समेत स्कूली बच्चों को बमुश्किल रैस्क्यू किया गया। संचालकों ने तकनीकी खामी का हवाला दिया। नैनीताल में मल्लीताल से स्नो व्यू ले जाने वाली ट्रॉली(केबल कार) विदेशी पर्यटकों समेत स्कूली बच्चों को लेकर जा रही थी। अचानक स्टैंड से 50 मीटर की दूरी पर जाकर ट्रॉली रुक गई। ट्रॉली में मौजूद विदेशियों और छोटे छोटे स्कूली बच्चों के बीच चीख पुकार मच गई। कुमाऊं मण्डल विकास निगम द्वारा संचालित ट्रॉली मैनेजमेंट टीम ने तत्काल एक्शन लेते हुए रैस्क्यू कार्य शुरू कराया और सभी को सकुशल नीचे उतारा। ट्रॉली में छह विदेशी पर्यटक, छह स्कूली बच्चे और एक परिजन मौजूद थे। टीम ने एक एक कर सभी सवारियों का लगभग 80 फ़ीट की ऊंचाई से रस्सियों के सहारे इवेक्यूएट किया।

 

आपको बता दे की नैनीताल की शान माने जाने वाली रोपवे कुमाऊ मंडल विकास निगम (के.एम.वी.एन.)के द्वारा संचालित की जाती है। इस रोपवे का निर्माण सन 1985 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी द्वारा कराया गया था। ये ट्रॉली इलैक्ट्रिक वायर केबिल सिस्टम से चलती है और इसे ऑस्ट्रिया के वोइस्ट अल्पाइन के साथ भारत सरकार की त्रिवेणी स्ट्रक्चरल लिमिटेड कम्पनी के संयुक्त तत्वाधान में बनाई गई । ये ट्रॉली दो किसम के तारों के साथ बैरिंग और पुली सिस्टम पर है आधारित । 15 अप्रैल 2013 को ट्रॉली का कम्पोनेंट खराब हुआ था जिसके कारण लोग फंस गए थे। इसके बाद मुंबई से आए 9 छात्र छात्राओं को तो दूसरी बार 9 जून को बिजली जाने और जेनरेटर खराब होने के कारण ट्रॉली हवा में रुक गई थी, जिसके बाद मुंबई, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पर्यटकों को सुरक्षित इवैक्युएट(रैस्क्यू)किया गया था। टीम मैनेजर शिवम शर्मा ने बताया कि उनके कर्मचारियों ने कोई उपकरण टूटने की आवाज सुनी जिसके बाद ट्रॉली को रोक दिया गया। टेक्निकल खराबी आने के कारण रोपवे आधे रास्ते में ही रुक गई थी और सभी यात्रियों का सफल एवेक्यूएशन किया गया। विदेई पर्यटकों ने अपने वीडियो इस्तेमाल करने की अनुमाती तो दे दी, लेकिन अपना वर्जन देने से इनकार कर दिया।

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