कहते हैं ना सच को दबाया तो जा सकता है मगर ज्यादा दिनों तक छुपाया नहीं जा सकता सच तो सच ही होता है। 13 जुलाई 2023 कोटद्वार शहर को भाबर क्षेत्र को जोड़ने वाला पुल का पिलर उस वक्त ढह गया जब लोक निर्माण विभाग ने मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद इस पुल के नीचे जो पिलर ढह गया उस पर ट्रीटमेंट का कार्य करवा रहा था। लोक निर्माण विभाग की इस गलती का खामियाजा एक व्यक्ति ने अपनी जान देकर चुकाई। जिम्मेदार अधिकारियों और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने बड़े ही चालाकी से नदी में हो रहा था अवैध खनन और आपदा का नाम देकर अपनी गलती पर पर्दा डाल दिया। और भोली भाली जनता भी इसे प्रकृति का प्रकोप मानकर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के दिए गए बयानों को सच मान बैठी।
पुल टूटने के कुछ दिनों बाद ही अचानक सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होता है जिससे 20 और 21 जून का बताया जा रहा है जिसमें एक व्यक्ति अपने मोबाइल से वीडियो बनाते हुए मालन नदी में पुल नीचे जाता है और वहां कार्य कर रहे मजदूरों से पूछता है की बरसात आने वाली है क्यों ट्रीटमेंट के नाम पर पूल की नींव को खोदा जा रहा है । यह ढह जाएगा जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा। लगभग 3 मिनट का यह वायरल वीडियो वह सच्चाई बयां कर जाता है कि यह पुल आला अधिकारियों और लोक निर्माण विभाग की गलती की भेंट चढ़ गया। जब हमने लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता डीपी सिंह से कुछ सवालों के उत्तर ढूंढने चाहे तो अधिशासी महोदय मीडिया के सामने आने से कतराते रहे और कुछ ना कुछ बहाना बनाकर बचते नजर आए।
सबसे बड़े सवाल यह खड़ा होता हैक्यों लोक निर्माण विभाग ने मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद बरसात से ठीक 20 दिन पहले पुल के इन पिल्लरौ पर ट्रीटमेंट का कार्य करवाया। अगर पुल के पिलर खतरे की जद में थे क्यों नहीं पुल पर आवाजाही को रोका गया।
अगर पुल खतरे की जद में था तो युद्ध स्तर पर क्यों नहीं बरसात से पहले ट्रीटमेंट का काम नहीं करवाया गया चंद मजदूर चंद मशीनें क्यों लगाई गई जिसे वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है।-इस वायरल वीडियो के सामने आने के बाद क्या लोक निर्माण विभाग के उच्च अधिकारीऔर जनप्रतिनिधि इन गैर जिम्मेदारना इंजीनियरों के खिलाफ कोई कठोर कार्यवाही करेगा। या फिर हमेशा की तरह जांच के नाम पर आला अधिकारियों की गैर जिम्मेदारना हरकतों को दबा दिया जाएगा।