वन विभाग में बिना लाइसेंस चल रहें हैं, वायरलेस सेट, राज्य गठन होने के बाद से नहीं हुआ रिन्यूवल।

वन विभाग में बिना लाइसेंस चल रहें हैं, वायरलेस सेट, राज्य गठन होने के बाद से नहीं हुआ रिन्यूवल।

प्रदेश में 71 प्रतिशत से ज्यादा भूमि पर वन हैं और इनमें रहने वाले वन्यजीवों की सुरक्षा किस तरह हो रही है?  इसकी एक और बानगी सामने आई है। पिछले कुछ दिनों पहलें पता चला था, कि वन विभाग में सालों से हथियारों के लाइसेंस का रिन्यूवल नहीं हुआ है। अब विभाग का वायरलेस सिस्टम भी कुछ इसी तर्ज पर जैसे-तैसे चल रहा है।

राज्य गठन के बाद से ही लाइसेंस अपडेट नहीं किए गए हैं और न ही फ्रीक्वेंसी रॉयल्टी भरी गई है। किसी भी राज्य में नेटवर्क फ्रीक्वेंसी के लिए डब्ल्यूपीसी विंग, संचार मंत्रालय भारत सरकार की ओर से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 और भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 के तहत वायरलेस स्टेशनों के लाइसेंस लिए जाते हैं।

यह विंग नेटवर्क में आने वाले रॉयल्टी और लाइसेंस फीस वसूलती है। इसमें प्रत्येक स्टैटिक सेट के लिए 500 प्रति सेट सालाना फीस ली जाती है। इसी प्रकार से मोबाइल सेट, रिपीटर सेट, बेस सेट, वॉकी-टॉकी के लिए 250 से 300 रुपये प्रति सेट शुल्क तय है।

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