शिक्षा विभाग के अधिकारी और अशासकीय विद्यालयों के प्रबंधकों की मिलीभगत से शिक्षा का बेड़ा गर्क हो रहा है। मोटी कमाई के लिएअधिकारी और प्रबंधक बगैर पद के ही नियुक्तियां कर दे रहे हैं।
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोटागढ़ में एक नियुक्ति इसलिए निरस्त कर दी गई कि पूर्व में जिला शिक्षा अधिकारी ने बगैर पद सृजन के नियुक्ति को अनुमोदन दे दिया था। बताया गया कि कोटागढ़ की नियुक्ति में लेनेदेन का खेल नहीं हो पाया। अब तक ऐसे करीब छह विद्यालय और सामने आए हैं लेकिन यहां की गई नियुक्तियां अभी भी यथावत बनी हुई हैं। गजब तो तब हो जाता है जब शिक्षा विभाग के अधिकारियोें के संज्ञान में सारा मामला है। गढ़वाल मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेश इस पूरे प्रकरण को हास्यास्पद बताते हैं। उनका कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी के स्तर यह गलती हुई है। जब एक नियुक्ति समाप्त कर दी गई तो अन्य पर भी वहीं कार्रवाई होनी चाहिए।