उन्होंने लिखा ’28’ मई को जो हुआ वह आप सबने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ कैसे व्यवहार किया। हमें कितनी बेरहमता से गिरफ़्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस करके हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज करा दी। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध किया। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर रहे हैं। यहां तक कि पाक्सो एक्ट को बदलवाने की बात कह रहा है। महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा ही नहीं है। आज वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे।
लग रहा है कि क्यों जीते थे। क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे। या हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी । तंत्र को उत्पीड़क को पकड़ना चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा है। अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थीए लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना।इसके द्वौरान खिलाड़ियों के उत्पीड़न के विरोध में आज पहलवान खिलाड़ी हरिद्वार में गंगा में मेडल प्रवाहित करेंगे।