वन विभाग और लोनिवि की लापरवाही के चलते आज हुई भारी बारिश से भाबर को कोटद्वार से जोड़ने वाला मालन नदी का पुल धराशाई हो गया। गढ़वाल कुमाऊं के साथ ही कोटद्वार भाबर की लाइफ लाइन मानी जाने वाले इस मार्ग पर बने मालन और सुखरो नदी के पुल लैन्सडाउन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज में होने के कारण मालन नदी के पुल के धराशाई होने के लिए वन विभाग और लोनिवि पूरी तरह जिम्मेदार है। लोनिवि द्वारा मालन नदी की पूर्वी ओर बहने वाली धारा का नदी में जेसीबी उतार कर धराशाई हुए पुल के पिलर के दोनों ओर किया जा रहा था। इस काम में दो जेसीबी पुल से नोचे और तीन जेसीबी पुल के ऊपर की तरफ नदी की धार के चैनेलाइजेशन का काम किया जा रहा था।
वन विभाग और लोनिवि द्वारा चैनेलाइजेशन का काम बरसात से पूर्व या बरसात के बाद किया जाना चाहिए था, लेकिन उस काम को बरसात में करने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके अलावा पुल के टूटने में मूल रूप से अवैध खनन है, जिसके लिए वन विभाग का कोटद्वार रेंज पूरी तरह जिम्मेदार है। पिछले दिनों कोटद्वार लालढांग मार्ग का निरीक्षण करने कोटद्वार आए वन मंत्री सुबोध उनियाल और कोटद्वार विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी की मौजूदगी में भाबर क्षेत्र के ही एक भाजपा पार्षद ने कोटद्वार रेंज के उच्च अधिकारी पर अवैध खनन करने वालों से खुलेआम अवैध वसूली करने और खनन करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। वही आज कोटद्वार विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने मालन नदी का धराशाई पुल का निरीक्षण करने पहुंची ओर वही से उन्होंने पीडब्ल्यूडी के अधिकारी को जमकर खरीखोटी सुना दी, अब बड़ा सवाल है कि आखिर पूर्व में ग्रामीणों की शिकायत पर सरकार द्वारा पुल के आस पास हो रहे रिवर ट्रेनिंग व अवैध खनन को क्यों नही रोका गया अब देखना होगा कब तक इन भृष्ट अधिकारियों पर गाज गिरेंगी।