हिंदी दिवस 2023: प्रेमियों का नया ठिकाना बना दून लाइब्रेरी, जानें इतिहास इस सेंटर का 2006 में हुआ स्थापित

दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर की शुरूआत 2006 में हुई थी। आपको बता दे  हिंदी भाषा में यहां साहित्य से लेकर धर्म आध्यात्म, इतिहास और तमाम विषयों पर हजारों की संख्या में किताबें उपलब्ध हैं, जिनकी पाठकों में बेहद मांग है लैंसडौन चौक पर बनी दून स्मार्ट लाइब्रेरी अब देहरादून में हिंदी साहित्य प्रेमियों का नया ठिकाना है।

परेड ग्राउंड के एक कोने पर अंग्रेज सैनिकों के बैरकनुमा तीन कमरों में शुरू किया गया यह पुस्तकालय स्मार्ट लाइब्रेरी में तब्दील हुआ तो पाठकों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ। यहां सुबह से शाम तक पाठकों की भीड़ रहती है। हिंदी भाषा में यहां साहित्य से लेकर धर्म आध्यात्म, इतिहास और तमाम विषयों पर हजारों की संख्या में किताबें उपलब्ध हैं, जिनकी पाठकों में बेहद मांग है। दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर की शुरूआत 2006 में हुई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने इसका शुभारंभ किया था। दून लाइब्रेरी में वर्तमान में पांच हजार से अधिक सदस्य हैं, 32 हजार से अधिक किताबें यहां पर हैं। हिंदी में शोध और अध्ययन करने वालों के लिए यह बड़ा केंद्र है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से 12.80 करोड़ की लागत से इस पुस्तकालय का कायाकल्प हुआ है।

 

 

 

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