बाजरा बिस्किट और कुकीज़ जैसे मिलेट आधारित उत्पाद और अन्य वस्तुएं 2023 (अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष) के त्योहारी सीजन में देशी और विदेशी बाजारों में उपलब्ध होंगी
देहरादून, मार्च 03, 2023: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के पास गांवों से घिरे छोटे से शहर में बिहारीगढ़ में 200 करोड़ रुपये के शुरुआती निवेश के साथ इवार एग्रो अत्याधुनिक बाजरा-आधारित खाद्य उत्पाद परियोजना स्थापित करेगा. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और इस पहाड़ी राज्य को दशकों पुरानी शहरों की ओर पलायन जैसी समस्या से लोगों को निजात मिल जाएगी.परियोजना के तहत इवार एग्रो बाजरे के बिस्कुट और कुकीज़ बनाएगा. कंपनी का अनुमान है कि परियोजना के पूरी क्षमता से काम करने पर इसी साल त्योहारी सीजन में उत्तराखंड के साथ ही देश के लोगों को श्रीअन्न यानी मोटे अनाज बाजरा से बने स्वादिष्ट व्यंजनों को चखने का मौका भी मिल सकेगा.
इवार एग्रो का उद्देश्य बाजरा आधारित उत्पादों को देश भर में बाजार उपलब्ध कराना भी है और इसी की कड़ी में बाजरा बिस्कुट बनाने का काम हाथ में लिया जाएगा. कंपनी बाजरा आधारित खाद्यान्न बनाने के प्लांट को 1,000 टन मासिक उत्पादन क्षमता के साथ शुरू करेगी. कंपनी के संस्थापक और प्रबंध निदेशक विजय गुप्ता का कहना है कि इवार एग्रो मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड की किसान-केंद्रित परियोजना बिहारीगढ़ में 15 एकड़ जमीन पर शुरू की जा रही है.
उन्होंने बताया कि 2022 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मान्यता दिलाई है. उल्लेखनीय है कि भारत में बाजरा खरीफ फसल है. इसे उगाने में अन्य फसलों की तुलना में कम पानी और अन्य कृषि आदानों की आवश्यकता होती है. भारत में आमतौर पर खरीफ में उगाए जाने वाले बाजरे की फसलें देश के अलग—अलग प्रदेशों में अलग—अलग नाम से उगाई जाती हैं. इनमें बाजरा, मोती बाजरा, रागी यानी उंगली बाजरा, झंगोरा अर्थात बार्नयार्ड बाजरा, बैरी यानी प्रोसो या सामान्य बाजरा, कांगनी यानी लोमड़ी/इतालवी बाजरा और कोदरा अर्थात कोदो बाजरा शामिल है. इसके अलावा राजस्थान समेत दक्षिणी राज्यों में मोटे अनाज के तौर पर ज्वार भी उगाया जाता है.
उन्होंने बताया कि ये परियोजना बाजरा उत्पादकों और उस पर आधारित खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल पर शुरू की जा रही है. कंपनी के कारखाने में आधुनिक स्वचालित मशीनें बाजरा से खाद्यान्न बनाएंगी. इस परियोजना का उद्देश्य आजीविका उत्पन्न करना, किसानों की आय में वृद्धि करना और खाद्य और पोषण सुरक्षा में योगदान करना है. कंपनी के कारखाने में शुरूआत में 200 कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिक दो पारियों में काम करेंगे. श्रमिकों का 75% से अधिक कार्यबल उत्तराखंड का होगा. बता दें कि भारत दुनिया में श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. भारत में मोटे अनाजों का उत्पादन 2015-16 के 14.52 मिलियन टन से बढ़कर 2020-21 में 17.96 मिलियन टन हो गया है. इसी अवधि के दौरान बाजरे का उत्पादन भी 8.07 मिलियन टन से बढ़कर 10.86 मिलियन टन हो गया है.
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना-उत्तराखंड तो बड़े पैमाने पर बाजरा उगाते ही हैं लेकिन अब अन्य राज्यों और उत्तर प्रदेश में इसकी फसल उगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा. इवार एग्रो बढ़ती घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए अपनी क्षमता में वृद्धि करेगा.
इवार एग्रो के निदेशक और सीईओ कृष्णा गुप्ता ने बताया कि पोषक तत्वों से भरपूर अनाज बाजरा भारत की जलवायु और मिट्टी के अनुकूल है और छोटे और सीमांत किसानों की आय का आधार है. हालांकि, कम मांग, बुनियादी ढांचे की कमी और सीमित बाजार जैसे कारकों के कारण बाजरा खेती में गिरावट आई है. लेकिन केंद्र सरकार की श्रीअन्न पहल के बाद हम आशान्वित हैं कि बाजरा-आधारित खाद्य उत्पाद परियोजना बाजरे का आटा, बाजरा के गुच्छे और बाजरा-आधारित नमकीन-बिस्कुट बाजार में तहलका मचा देंगे. इसके अलावा कुकीज़ भी बाजरा किसानों को बेहतर कीमतों के साथ-साथ अधिक आय देंगे.
इवार एग्रो के निदेशक और सीईओ धनंजय गुप्ता ने बताया कि कंपनी का लक्ष्य बिहारीगढ़ में बाजरा उत्पादकों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करने की योजना भी है. ताकि वे अपनी फसलों की गुणवत्ता में सुधार करके मांग में बढ़ोतरी के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि वह इस अवसर (अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष ) का उपयोग ‘जन आंदोलन’ बनाने और भारत को ‘मिलेट का वैश्विक केंद्र’ बनाने के लिए करना चाहते हैं। आने वाले समय में बिहारीगढ़ के लोग इवार एग्रो के साथ इस आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का दावा कर सकेंगे।