अगर ड्रिल मशीन ठीक चली तो सुरंग में फंसे मजदूरों के बेहद करीब पहुंच जाएगा और आज रात तक मजदूरों के बाहर आने की भी है उम्मीद
उत्तरकाशी सुरंग बचाव पर पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि अब स्थिति काफी ठीक है। कल रात हमें दो चीज़ों पर काम करना था। सबसे पहले, हमें मशीन के प्लेटफॉर्म का पुनर्गठन किया और इसके तुरंत बाद पाइप पर जो थोड़ा दबाव था, उसे काटने का काम चल रहा है। ये पूरा हो जाने के बाद ऑगर ड्रिलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पार्सन्स कंपनी ने ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार से जो अध्ययन किया है, उससे हमें पता चला कि अगले 5 मीटर तक कोई धातु अवरोध नहीं है। इस हिसाब से अगर ड्रिल मशीन ठीक चली तो पाइप सुरंग में फंसे मजदूरों के बेहद करीब पहुंच जाएगा और आज रात तक उनके बाहर आने की उम्मीद है।
ड्रिलिंग का काम हुआ शुरू
आखिरकार लंबे इंतजार के बाद ड्रिलिंग का काम भी शुरू हो गया है। अगर कोई अड़चन नहीं आई तो आज एस्केप टनल बनाने का काम पूरा हो जाएगा और सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकाले जा सकेंगे।
चिकित्सक की टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया
उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकाले जाने के बाद चिकित्सीय सुविधा देने के लिए एम्स अस्पताल ने भी पूरी तैयारियां कर ली हैं। एम्स प्रशासन का कहना है कि यदि मजदूरों को एम्स भेजा गया तो उन्हें बेहतर चिकित्सीय सुविधा प्रदान की जाएगी।
सुरंग में एडवांस ड्रोन ने आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से दिखाई राह
बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा के छह टनलिंग-माइनिंग विशेषज्ञ इंजीनियर की टीम ने सुरंग में पहुंचकर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से भीतर के हालात बताए, जिससे अभियान को अंजाम तक पहुंचाने में काफी मदद मिली। बीआरओ के डीडीजी ब्रिगेडियर विशाल वर्मा ने मलबे के भीतर ड्रिल में आ रही दुश्वारियों के बीच बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा एंड माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मदद ली।
मजदूरों में बढ़ा उत्साह दिखी बाहर आने की राह
सुरंग से बाहर आए कर्मचारियों ने बताया कि भीतर गैस कटर से उठे धुएं की महक मजदूरों तक पहुंची हैं। उन्होंने वॉकी-टॉकी पर भीतर से ये जानकारी दी है। इससे 13 दिन से सुरंग में कैद मजदूरों का उत्साह बढ़ गया है और वह खुश भी हो उठे है।