Haldwani Violence: हल्द्वानी हिंसा के खौफनाक मंजर से देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति पर आई आंच

Haldwani Violence देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति सबसे खुबसूरत और अलग मानी जाती है, इन दिनों उत्तराखंड के हल्द्वानी बनभूलपुरा क्षेत्र में अलग ही माहौल दिखा। जिसमे की ऐसा भह्भीत करने वाला खून का ये रंग पहले कभी नहीं घुला था। हमेशा से यह प्रदेश शांतिप्रिय  का माहौल से परिपूर्ण रहा है। इसकी शांत वादियों ने सदैव बाहरी लोगों को यहां की ओर आकर्षित किया है। यही वजह है कि आज इस घटना ने सम्पूर्ण उत्तराखंड के साथ देश के मन मस्तिष्क को झकझोर दिया है।

Haldwani Violence हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में मलिक के बगीचे में अवैध मदरसा और धर्मस्थल ढहाने गई पुलिस और प्रशासन की टीम पर स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया। पथराव में सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, रामनगर कोतवाल समेत 300 से अधिक पुलिसकर्मी और निगमकर्मी घायल हो गए। बनभूलपुरा क्षेत्र में हुए बवाल और आगजनी की घटना ने पुलिस के खुफिया तंत्र की कमजोरी को भी जगजाहिर कर दिया। बनभूलपुरा में हर दिन एलआईयू और खुफिया विभाग के अधिकारी, कर्मचारी घूमते रहते हैं, लेकिन इसकी भनक तक नहीं लग सकी।
Haldwani Violence: Uttarakhand has never been a history of violent incidents

 

Haldwani Violence हल्द्वानी के बनभूलपुरा में गुरुवार शाम को  अतिक्रमण हटाने को लेकर बवाल हो गया। जिसके बाद प्रशासन ने देर शाम उपद्रवियों के पैर में गोली मारने के आदेश जारी किए। हल्द्वानी हिंसा में छह लोगों की गोली लगने से मौत हो गई। शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

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Haldwani Violence हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में मलिक के बगीचे में अवैध मदरसा और धर्मस्थल ढहाने गई पुलिस और प्रशासन की टीम पर स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया। पथराव में सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, रामनगर कोतवाल समेत 300 से अधिक पुलिसकर्मी और निगमकर्मी घायल हो गए। उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाना भी फूंक दिया। पुलिस की जीप, जेसीबी, दमकल की गाड़ी दोपहिया समेत 70 से अधिक वाहन फूंक दिए गए। आंसू गैस के गोले दागने और लाठी चार्ज के बाद भी जब हालात काबू में नहीं आए, तो सबसे पहले अधिकारी जान बचाने के लिए मौके से भाग लिए। पुलिस व निगम टीम जैसे-तैसे वहां से निकली। प्रशासन ने उपद्रवियों को देखते ही पैर में गोली मारने के आदेश दिए हैं। पिता-पुत्र समेत छह लोगों की गोली लगने से मौत हो गई। शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

 

Haldwani Violence पुलिस सुरक्षा में नगर निगम की टीम बृहस्पतिवार शाम करीब चार बजे मलिक के बगीचे में बने अवैध मदरसे व धर्मस्थल को ढहाने के लिए पहुंची।  जेसीबी जैसे ही अवैध धर्मस्थल की ओर बढ़ी स्थानीय लोग भड़क गए और पथराव कर दिया। पुलिस और निगम की टीम तीनों ओर से घिर गई। पथराव के बीच लोगों ने जेसीबी तोड़ दी और पुलिस की जीप समेत कई वाहनों में आग लगा दी।
Haldwani Violence: Uttarakhand has never been a history of violent incidents

 

Haldwani Violence बनभूलपुरा क्षेत्र में हुए बवाल और आगजनी की घटना ने पुलिस के खुफिया तंत्र की कमजोरी को भी जगजाहिर कर दिया। बनभूलपुरा में हर दिन एलआईयू और खुफिया विभाग के अधिकारी, कर्मचारी घूमते रहते हैं, लेकिन इसकी भनक तक नहीं लग सकी। हल्द्वानी हिंसा को लापरवाही और बिन होश के जोश ने हिंसा दी। यही कारण रहा जिससे देवभूमि की संस्कृति में खून के छींटे पड़ गए। उत्तराखंड में कभी हिंसक घटनाओं का इतिहास नहीं रहा, लेकिन हल्द्वानी हिंसा देवभूमि पर दाग लगा गई।

Haldwani Violence राज्य के कई इलाकों में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है, लेकिन वह यहां की संस्कृति में रच बस गए हैं। लोगों के घरों के निर्माण करने से लेकर मंदिरों तक की सजावट तक के हर काम में उनका सहयोग होता है। एक सुखद पहलु यह भी है कि भले ही लोग उन्हें रहीम, इकबाल, सुलेमान के नाम से पुकारते हो, लेकिन जब उनके मुख से स्थानीय बोली (गढ़वाली बोली) सुनते हैं तो यह बताता है कि वह किस तरह से यहां कि संस्कृति में घुल मिल गए हैं। हरिद्वार, रुड़की, ऊधम सिंह नगर जैसे शहरों में पड़ोसी राज्यों से आकर लोग बसे हैं। मिक्स आबादी के चलते यहां सामाजिक ताना-बाना भले बदला हुआ है, लेकिन सभी ने एक दूसरे को अपनाया है। मैदान और पहाड़ दोनों में ही जगह मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं, लेकिन इनके आपसी तालमेल को देखकर यह कहा नहीं जा सकता है कि यह इनका अपना घर नहीं।

 

Haldwani Violence: Uttarakhand has never been a history of violent incidents
उत्तरकाशी सहित कुछ पहाड़ी जिले तो ऐसे हैं जहां कई मुस्लिम परिवारों की पीढ़ियां रही है। लेकिन अचानक इस राज्य की शांति ही भंग हो गई। किसने शांत फिजा का सुकून और खुशी छीन ली। सत्ता और विपक्ष भी इस घटना से हैरान है। क्योंकि देवभूमि में इस घटना की किसी ने कभी कल्पना नहीं की थी।
Haldwani Violence: Uttarakhand has never been a history of violent incidents
Haldwani Violence उत्तराखंड बनने से पहले भी यहां कभी भी किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक हिंसा देखने को नहीं मिली। उत्तराखंड का मिजाज हमेशा से लोगों को जोड़ने वाला रहा है। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है पिछले साल उत्तरकाशी के पुरोला में एक घटना के बाद लव जिहाद के मामले ने तूल पकड़ा था। इस दौरान देवभूमि की शांत फिजाओं में नफरत और सांप्रदायिकता का जहर घोलने का प्रयास किया गया। मुस्लिम समुदाय के लोगों की कई पीढ़ियां यहां बसी थी। यही वजह रही कि लोगों ने एकजुटता दिखाई और शांतिपूर्ण माहौल स्थापित किया गया।
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