Uttarakhand Latest News लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तराखंड़ फोर्सेस, सीएसीएल तथा आरटीई फोरम ने संयुक्त रूप से भारत के बच्चों की शिक्षा, पोषण और बाल श्रम से सुरक्षा को लेकर सार्वजनिक घोषणा पत्र जारी किया है। घोषणा पत्र को सभी राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और समुदायों के पास तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
Uttarakhand Latest News सार्वजनिक घोषणा पत्र में कहा गया है कि बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के लागू होने के 14 साल बाद भी एक सामान्य स्कूल प्रणाली के रूप में शिक्षा के सार्वभौमिक एवं उच्च गुणवत्ता वाले मानकों को सुनिश्चित नही किया जा सका है। स्थिति यह है कि आरटीई का पालन सिर्फ 25 प्रतिशत स्कूलों में ही हो पा रहा है।
Uttarakhand Latest News स्कूलों में आठ लाख से भी अधिक शिक्षकों के पद खाली चल रहे हैं और वर्तमान में सभी प्रदेशों में संविदा शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है जिससे उन्हें सामाजिक सुरक्षा का लाभ तक नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं जहां पर नियमित शिक्षक हैं भी वहां पर उनके ऊपर गैर शैक्षणिक कार्यों का दबाव रहता है।
Uttarakhand Latest News 20 से 25 प्रतिशत तक का समय शिक्षकों का गैर शैक्षणिक कार्यों में ही चला जाता है। आज तमाम योजनाओं और दावों के बाद भी 9 लाख से भी अधिक बच्चे देश में स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। स्कूल से बाहर रहने से बच्चे न केवल शिक्षा से वंचित हो रहे हैं बल्कि बच्चों का बाल श्रम में जाने का जोखिम भी अधिक हो जाता है।
Uttarakhand Latest News घोषणा पत्र में कहा गया है कि कानून होने के बाद भी शिक्षा के अधिकार में कई तरह की असमानताएं देखी जा रही है। देश मे लगातार शिक्षा का व्यवसायीकरण बढ रहा है। देश भर में निजी स्कूलों की संख्या लगातार बढ रही है, जिससे समाज में शिक्षा भी अमीरी और गरीबी में बंटती हुई दिख रही है। कहा गया है कि अब आरटीई अधिनियम के विस्तार का समय आ गया है, जिसमें 6 वर्ष से कम और 14 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार को कानूनी अधिकार दिया जाय। साथ ही 18 वर्ष के बच्चों को किसी भी प्रकार के बाल श्रम से संरक्षित किया जाना भी आवश्यक है।
Uttarakhand Latest News फोर्सेस उत्तराखण्ड कोर ग्रुप सदस्य डॉ० वीपी बलोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की समीक्षा करने की आवश्यकता है ताकि शिक्षा के अधिकार की भावना का बेहतर क्रियान्वयन हो सके।
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