देहरादून, परियोजना निदेशक रीप नितिका खंडेलवाल द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों व हस्तशिल्पीयों द्वारा निर्मित मानस खंड की झांकी जिसको कि 26 जनवरी पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ एवं ताम्र पट्टिका पर उकेरे गये मानस खंड के मंदिरों की मनमोहक रचना, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेंट की गई। साथ ही मुख्यमंत्री को चारधाम यात्रा में स्थानीय हस्तशिल्पयों व महिला समूहों के उत्पादों की प्रदर्शन एवं विपणन योजना के बारे में बताया गया। रीप परियोजना वर्तमान में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एवं एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों, आजीविका संघों, सहकारिताओं एवं क्लस्टर लेवल फेडरेशनों से जुड़े 560000 परिवारों के साथ मिलकर पूरे प्रदेश में उद्यम विकास हेतु कार्य कर रही है। साथ ही स्वयं सहायता समूहों सहकारिताओं द्वारा उत्पादित उत्पाद को हिलांस ब्रांड के माध्यम से विपणन का कार्य भी गतिमान है।
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री द्वारा माणा गांव से दिए गए अपने संदेश में कहा गया था कि सभी यात्रियों को यात्रा के कुल बजट का 5 प्रतिशत बजट आवश्यक रूप से स्थानीय उत्पादों पर खर्च करना चाहिए। इसी क्रम में चार धाम यात्रा के मद्देनजर पहली बार स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्तराखंड के सभी जिलों के उत्कृष्ट सोविनियर एवं स्थानीय उत्पाद हिलांस ब्रांड के तहत चार धाम यात्रा मार्ग पर बिक्री हेतु प्रदर्शित किए जा रहे हैं।
जीएमवीएन के साथ मिलकर जीएमवीएन के सभी मुख्य गेस्ट हाउसों पर हिलांस के स्टॉल्स लगाए जा रहे हैं। जिन्हें स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा संचालित किया जाएगा। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। इसी के तहत विभिन्न जिलों के समूहों द्वारा आपस में 8500000 लाख से अधिक के ऑर्डर दिया जा चुके हैं। इसमें मुख्यत: ब्रह्मकमल टोपी, चार धाम से प्रेरित विभिन्न प्रकार के तोरण, फ्रिज मैग्नेट, चाबी के छल्ले, गंगाजल, हैंडलूम के स्कार्फ, यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ के मिनिएचर्स आदि स्वयं सहायता समूहों द्वारा बृहद मात्रा में तैयार किए जा रहे हैं।
यात्रियों तक स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की जानकारी के लिए टूरिज्म की वेबसाइट पर पंजीकृत यात्रियों को मोबाइल संदेश, ईमेल, डिजिट्ल, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। इस बार चारधाम यात्रा उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में कुशल स्थानीय कारीगरों और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा तैयार की गई स्मृति चिन्हों की चमकदार श्रृंखला को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगी।
यह स्थानीय कारीगरों और महिलाओं के लिए वरदान साबित होगी, साथ ही चारधाम की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करने का अवसर भी प्रदान होगा।