देहरादून। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने को लेकर सिडकुल की पूर्व सहायक महाप्रबंधक समेत तीन लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
राजपुर थाने में दर्ज मुकदमे में शिकायतकर्ता सिडकुल के प्रबंधक (मानव संसाधन) करन सिंह नेगी ने बताया कि वर्ष-2016 में सिडकुल की ओर से सहायक महाप्रबंधक (मानव संसाधन) सहित विभिन्न पदों के लिए भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। रानीपुर हरिद्वार निवासी राखी ने सहायक महाप्रबंधक पद के लिए आवेदन किया और 10वीं, 12वीं, बीएससी (स्नातक) और एमबीए (मानव संसाधन) के शैक्षणिक योग्यता का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया। इस पद के लिए न्यूनतम 08 वर्ष का कार्य-अनुभव मांगा गया था। जिसके लिए राखी ने इंजीनियरिंग कालेज रुड़की (कोर) व वर्ष-2007 से 2014 तक सिडकुल हरिद्वार में संविदा पर कार्य का अनुभव का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया।
वर्ष-2017 में राखी को इस पद पर नियमित नियुक्ति दे दी गई। बाद में नियुक्ति पर सवाल उठाने पर वर्ष-2018 में शासन ने एसआईटी गठित की। जांच में कालेज ऑफ इंजीनियरिंग की ओर से जारी प्रमाण-पत्र व अन्य दस्तावेज जाली पाए गए। कालेज ऑफ इंजीनियरिंग ने बताया कि राखी ने कभी संस्थान में काम नहीं किया व उसके प्रमाण-पत्र फर्जी हैं। प्रमाण-पत्र फर्जी पाए जाने के बाद अक्टूबर 2023 में सिडकुल प्रबंधन ने आरोपित राखी को बर्खास्त कर दिया था। अब इसी क्रम में सिडकुल प्रबंधन ने यह मुकदमा दर्ज कराया है।
चालकों ने भी लगाए फर्जी दस्तावेज
सिडकुल में नियुक्ति के लिए चालक पदों पर भी फर्जी शैक्षिक प्रमाण-पत्र लगाए गए। चालक पद पर चयनित अमित खत्री निवासी मसूरी ने गुरुकुल विश्वविद्यालय वृंदावन मथुरा से वर्ष-2006 में कक्षा 10वीं द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण करना बताया। यह विवि आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश लखनऊ की ओर से संचालित होना बताया गया। अमित का परीक्षा केंद्र भगवती देवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल अमित विहार कुकरा मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश बताया गया था। एसआईटी ने जब गुरुकुल विश्वविद्यालय वृंदावन मथुरा से पत्राचार किया तो अमित के प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए। इसी तरह दूसरे चालक विकास कुमार ने भी इसी विवि से 10वीं उत्तीर्ण करने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया था, जो फर्जी पाया गया। अब तीनों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।