देहरादून। कोर्बेट नेशनल पार्क के अंतर्गत कोटद्वार के निकट पाखरो में प्रस्तावित टाइगर सफ़ारी मामले में चल रही सीबीआई जांच को लेकर एक रोचक तथ्य सामने आ रहा है। दावा है कि बीते दिवस सीबीआई द्वारा की गई पूछताछ के दौरान पूर्व वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने मय दस्तावेज़ के यह दलील दी है कि वह इस मामले में पाक साफ हैं, जबकि असल गुनाहगार तत्कालीन मुख्यमंत्री और वन महकमे के कुछ बड़े अफसर हैं। दावा तो यहां तक है कि हरक ने अपने आरोपों को गोपनीय दस्तावेजों के साथ सीबीआई के समक्ष प्रस्तुत किया है।
उल्लेखनीय है कि पाखरो में टाइगर सफारी की स्थापना के लिए तथाकथित तौर पर चयनित स्थान पर बड़ी संख्या में वृक्षों का अवैध पातन किया गया। इसके अलावा अनेक अन्य तरह की अनियमितताओं के आरोप भी लगे थे। इस सम्बंध में विजिलेंस द्वारा एक मुकदमा भी कायम कर दिया गया था। हरक से पूर्व में भी सीबीआई द्वारा पूछताछ की गई थी किन्तु उन पूछताछ के दौरान हरक ने स्वयं को पाक साफ बताया था।
किंतु इस मर्तबा यह कहा जा रहा है कि हरक ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को कुछ ऐसे गोपनीय दस्तावेज़ भी सौंपे हैं, जिनसे यह सिद्ध होता है कि इस गड़बड़झाले में हरक नहीं बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और कुछ बड़े अफसर दोषी हैं। सवाल यह उठता है आखिर क्या हरक के हाथ कोई ऐसे दस्तावेज लग गए हैं जो वास्तव में तत्कालीन सीएम के लिए चिंता का विषय हो सकते हैं। गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और हरक के मध्य रिश्ते ज्यादा अच्छे नहीं रहे हैं। हालांकि सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक हरक से 2 घण्टे की सघन पूछताछ हुई है किंतु ऐसे किसी दस्तावेज के बाबत कोई बात केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की तरफ से नहीं कही गयी है।