हाई कोर्ट ने हिमाचल व उत्तराखंड की सीमा पर स्थित आसन वेटलैंड संरक्षण रिजर्व के 10 किलोमीटर के दायरे में बिना अनुमति खनन करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से अब तक दोषियों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट भी तलब की है।
आसन वेटलैंड यमुना और आसन नदी का 444 हेक्टेयर क्षेत्र है, जो उत्तराखंड के देहरादून जिले में यमुना नदी के साथ संगम तक फैला है।
आसान संरक्षण रिजर्व दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का सरंक्षण क्षेत्र है। इस क्षेत्र के भीतर पक्षियों की 330 प्रजातियां हैं, जिनमें लुप्तप्राय सफेद पंख वाले गिद्ध जैसे दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी संरक्षित हैं व इसके साथ ही गैर एवियन प्रजातियों की 49 मछली प्रजातियां भी शामिल हैं। पक्षी एवं मछलियां भोजन, प्रवास व अंडे देने के लिए इस स्थान का उपयोग करती हैं।
एवियन प्रजातियों की 49 मछली प्रजातियां भी शामिल हैं। पक्षी एवं मछलियां भोजन, प्रवास व अंडे देने के लिए इस स्थान का उपयोग करती हैं।
आसन वेटलैंड को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 36ए के तहत 2005 में संरक्षण रिजर्व घोषित किया था। हिमाचल हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी यमुना नदी की आध्रभूमि की निशानदेही करने के आदेश दिए थे। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्रन राव व न्यायाधीश सत्येंद्र वैद्य की खंडपीठ के समक्ष देहरादून निवासी गजेंद्र रावत की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में गजेंद्र रावत ने गुहार लगाई थी कि वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाई जाए और इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से जारी लाइसेंस को रद्द किया जाए। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान हिमाचल हाई कोर्ट ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने यमुना नदी की वेटलैंड के 10 किलोमीटर के दायरे में वन्य जीव और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय व जलवायु परिवर्तन राष्ट्रीय बोर्ड की स्थाई समिति की अनुमति के बिना खनन पर रोक लगाने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिना अनुमति खनन करने वालों के विरुद्ध उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारें कार्यवाही करें।