बनारसी साड़ी और लाल चूड़ियां पहने 30 वर्षीय सविता कराची में फुटपाथ पर सूखे मेवे बेचकर अपना घर चलाती हैं लेकिन अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से होने के कारण कुछ दुकानदार अक्सर उससे झगड़ते रहते हैं जिनमें से ज्यादातर पश्तून समुदाय से हैं। सविता पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची की सूक्ष्म अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है जहां हर साल हजारों प्रवासी आते हैं। कराची की अर्थव्यवस्था में सूखे मेवे के कारोबार का 40 फीसदी योगदान है।
सविता की तरह करीब 200 महिलाएं एम्प्रेस मार्केट में मेवे बेचकर अपनी आजीविका कमाती है। हालांकि, इन महिलाओं के लिए जिंदगी इतनी आसान नहीं है। अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से होने के कारण उन्हें अक्सर पश्तून कारोबारियों के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है और ताने सहने पड़ते हैं। वह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी की सदस्य हैं जो चहल-पहल वाले सदर इलाके में एम्प्रेस मार्केट बिल्डिंग के बाहर फुटपाथ पर सूखे मेवे बेचती हैं।
उसने कहा, ”मेरी दादी और नानी ने 1965 के युद्ध के बाद यहां काम करना शुरू किया था और फिर मेरी मां, बहन और अब मैं यह काम कर रही हूं।” एक अन्य हिंदू महिला विक्रेता 20 वर्षीय विजेता ने कहा, ”कुछ दुकानदार, ज्यादातर पश्तून समुदाय के लोग हमसे लड़ते हैं कि हम उनके कारोबार में खलल डाल रहे हैं। ऐसी भी घटनाएं हुई है जब कुछ ने हमारी महिलाओं को भी प्रताड़ित किया।” लेकिन सविता के साथ ही एक अन्य विक्रेता माला कहती हैं कि जनता का बर्ताव उनके प्रति अच्छा है और उन्हें एम्प्रेस मार्केट के बाहर सुबह से शाम तक काम करने में डर नहीं लगता है। यह पूछने पर कि क्या उसकी बेटी भी यही काम करेगी इस पर सविता ने कहा, ”वह अभी 15 साल की है, हम देखेंगे कि क्या करते हैं।”