Lok Sabha Election 2024 सीएम पुष्कर धामी की ताबड़तोड़ सभाएं, क्यों योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी को बुलाने की पड़ रही है जरूरत, कैसे सबसे आसान सीट बनी सबसे मुश्किल पहेली
Lok Sabha Election 2024 गढ़वाल लोकसभा सीट हमेशा से भाजपा का अभेद दुर्ग रही है। कुछ एक मौकों को छोड़ दें, तो दशकों से ये सीट भाजपा की सबसे आसान सीटों में से एक रही है। यही वजह रही जो कांग्रेस के टिकट से 2019 का लोकसभा चुनाव हारे मनीष खंडूडी पांच साल मेहनत करने के बावजूद ऐन 2024 के चुनाव से पहले मैदान छोड़ भाग कर भाजपा में शामिल हो गए। ऐसे में यही माना जा रहा था कि 2024 में भाजपा के लिए गढ़वाल सीट टक्कर की साबित होगी, लेकिन अब जैसे जैसे 2024 का लोकसभा चुनाव आगे बढ़ रहा है, तो ये सबसे आसान मानी जाने वाली सीट ग्रे कैटेगरी में पहुंच गई है। हालांकि इस सीट पर भाजपा की मजबूत पकड़ उसी दिन से कमजोर होना शुरू हो गई थी, जिस दिन इस सीट पर कांग्रेस से गणेश गोदियाल और भाजपा से अनिल बलूनी के नाम की घोषणा बतौर प्रत्याशी हुई।
Lok Sabha Election 2024 भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी ने जरूर अपने नामांकन के दिन को एक मेगा शो का रूप देकर मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने का प्रयास किया। इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक समेत तमाम दिग्गज मौजूद थे। नामांकन में जुटी भीड़ का ये तिलस्म दूसरे ही दिन तब टूट गया, जब कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल के नामांकन में बिना किसी स्टार प्रचारक और संसाधन के जनता का हूजूम पौड़ी में उमड़ पड़ा। इसके बाद हर एक दिन गोदियाल के समर्थन में सोशल मीडिया से लेकर गढ़वाल के गांव गांव में लोगों का समर्थन जुटने लगा है।
Lok Sabha Election 2024 खुद कांग्रेस प्रत्याशी इस मिलते अपार समर्थन से हैरान हैं। कांग्रेस प्रत्याशी को मिलती इस अप्रत्याशित मनोवैज्ञानिक बढ़त को खत्म करने के लिए भाजपा की ओर से गढ़वाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के एकमात्र विधायक राजेंद्र भंडारी को भी चौंकाने वाले अंदाज में अपने पाले में खड़ा कर लिया गया। भाजपा को ये दांव भी उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। आलम ये है कि भंडारी पूरे लोकसभा क्षेत्र तो दूर अपनी सीट बदरीनाथ में भी खुल कर प्रचार नहीं कर पा रहे हैं। भाजपा के भंडारी को तोड़ने के दांव से स्थानीय स्तर पर अंदरखाने लोग नाराज नजर आ रहे हैं। न भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी, कार्यकर्ता भंडारी को पचा पा रहे हैं। न ही कांग्रेस में भंडारी के समर्थक रहे लोग भंडारी के साथ भाजपा में आए।
Lok Sabha Election 2024 गढ़वाल क्षेत्र के विचारक, सामाजिक कार्यकर्ता, रंगकर्मी, संस्कृत कर्मी, स्वतंत्र पत्रकार, गायक कलाकारों भीड़ भी खुलकर गोदियाल के समर्थन में खड़ी नजर आ रही है। भाजपा प्रत्याशी बलूनी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि मीडिया, सोशल मीडिया, न्यूज पोर्टलों में उनके समर्थन में जबरदस्त माहौल बनेगा, लेकिन यहां तस्वीर उलट नजर आ रही है। चंद मीडिया कर्मियों की अतिरिक्त सक्रियता ने बलूनी को स्थानीय मीडिया और पहाड़ के आम जनमानस से दिन ब दिन दूर करने का काम कर दिया है।
Lok Sabha Election 2024 महज 24 दिन में गढ़वाल सीट पर बदले इस माहौल ने भाजपा केंद्रीय आलाकमान को चिंता में डाल दिया है। दिल्ली दरबार में गणेश गोदियाल को मिल रहे जबरदस्त समर्थन से हलचल तेज है। पार्टी के दिग्गज, रणनीतिकार इसीलिए परेशान हैं, क्योंकि जो गढ़वाल सीट उनका गुरुर हुआ करती थी, वो आज कैसे एकदम संकट में आ गई है। गढ़वाल सीट को पीएम मोदी का गुरुर इसीलिए कहा जा रहा है, क्योंकि पीएम मोदी की आंख, नाक, कान के रूप में जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल दस साल से उनकी परछाई बने हुए हैं, वे पौड़ी से हैं। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, मौजूदा सीडीएस ले. जनरल अनिल चौहान, रॉ चीफ रहे धस्माना समेत तमाम दिग्गज इसी गढ़वाल क्षेत्र से हैं।
Lok Sabha Election 2024 पीएम मोदी के कार्यकाल में ऑल वेदर रोड से लेकर बदरीनाथ, केदारनाथ मास्टर प्लान के तहत कई अन्य बड़े काम भी इसी क्षेत्र में हुए हैं। यही वजह रही, जो इस सीट से कोई भी कांग्रेस दिग्गज चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। पांच साल जिस कांग्रेस नेता मनीष खंडूडी को प्रचार के दौरान जनता का समर्थन नहीं मिला, वो सीट कैसे रेत की तरह भाजपा के हाथ से खिसकती जा रही है। इसी संकट को भांपते हुए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने गढ़वाल सीट को लेकर अपना पूरा चुनावी कैंपेन को नए सिरे से डिजाइन किया है। गढ़वाल सीट पर सीएम पुष्कर सिंह धामी को प्रचार की कमान थमा दी है। उनकी रैलियों, चुनावी सभाओं की संख्या बढ़ा दी है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को श्रीनगर, पौड़ी में सभाएं करनी पड़ेंगी। इसके अलावा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह तक को लगाना पड़ रहा है।
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Lok Sabha Election 2024 भाजपा को जो ताकत दक्षिण भारत के राज्यों में अपने विस्तार को लगानी पड़ रही थी, अब वो पूरा फोकस गढ़वाल सीट पर लगाना पड़ रहा है। उत्तराखंड की शेष चार सीटों पर जहां माहौल एकतरफा नजर आ रहा है, वहीं गढ़वाल सीट पर भाजपा को अब ज्यादा पसीना बहाना होगा। भाजपा के लिए बेहतर यही है कि उसे हाथ से फिसलती जा रही गढ़वाल लोकसभा सीट की असलियत सही समय पर मालूम चल गई। इससे अब भाजपा के पास करीब 12 दिन का समय इस सीट को मजबूत करने के लिए मिल गया है।