वर्ष 1918 से हो रहा डिम्मर गांव में संस्कृत महाविद्यालय का संचालन
पूर्व में डिमरी ब्राह्मणों की ओर से ही महाविद्यालय का संचालन किया जाता था। डिम्मर गांव में वर्ष 1918 से संस्कृत महाविद्यालय का संचालन हो रहा है। मौजूदा समय में महाविद्यालय को श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से संचालित किया जाता है। यहां कक्षा छह से आचार्य तक की कक्षाओं का संचालन होता है। डिमरी परिवारों ने महाविद्यालय के संचालन के लिए अपनी 30 नाली भूमि भी दान में दी और यहां एक छात्रावास भी है।
प्रदेश सरकार की मुहिम रंग लाई तो अब डिम्मर गांव की महिलाएं अहम खेत्रम गच्छामी, तत्र घासम गृहणामी..(मैं खेत जा रही हूं, वहां से घास लेकर घर आऊंगी) इसी तरह संस्कृत भाषा में आपस में बातें करेंगी। प्रदेश के संस्कृत निदेशालय ने राज्य के 13 जिलों में 13 आदर्श संस्कृत ग्राम बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
इसके तहत चमोली जिले के डिम्मर गांव को आदर्श संस्कृत ग्राम के रूप में चयनित किया गया है। गांव में महिलाओं से लेकर बच्चों और बुजुर्गों को संस्कृत भाषा सिखाई जाएगी। इसके लिए गांव में एक संस्कृत प्रशिक्षित व्यक्ति का चयन किया जाएगा जो ग्रामीणों को संस्कृत भाषा बोलनी सिखाई जाएगी। इसके लिए उसे 12000 रुपये प्रतिमाह मानदेय भी दिया जाएगा।