Uttarakhand Latest News: अब दो दिन पहले मिलेगी, नए सिस्टम के जरिये भूस्खलन की चेतावनी

Uttarakhand Latest News नए सिस्टम से अब दो दिन पहले मिलेगी, भूस्खलन की चेतावनी उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले सहित देश के अन्य राज्यों के चार जिलों में यह सिस्टम लगाया गया है, जिससे प्राप्त आंकड़ों का लगातार विश्लेषण किया जा रहा है।

Uttarakhand Latest News आने वाले समय में मौसम के पूर्वानुमान की तरह भूस्खलन की भी दो से तीन दिन पहले चेतावनी जारी की जा सकेगी। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) नेशनल लैंडस्लाइड डिजास्टर मैनेजमेंट के तहत देश के सर्वाधिक भूस्खलन प्रभावित 11 राज्यों में लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने की दिशा में काम कर रहा है। यह काम वर्ष 2027 तक पूरा हो जाएगा। प्रायोगिक तौर पर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले सहित देश के अन्य राज्यों के चार जिलों में यह सिस्टम लगाया गया है, जिससे प्राप्त आंकड़ों का लगातार विश्लेषण किया जा रहा है। भूस्खलन की संवेदनशीलता के लिहाज से देश में अरुणाचल और हिमाचल प्रदेश के बाद उत्तराखंड तीसरे स्थान आता है।
Uttarakhand Latest News जीएसआई ने नेशनल लैंडस्लाइड सेंसिबिलिटी मैपिंग प्रोग्राम के तहत यहां करीब 15 हजार भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित किए हैं। भूस्खलन हर साल सैकड़ों लोगाें की जानें लेने के साथ विकास योजनाओं पर दुष्प्रभाव डालते हैं। चारधाम यात्रा सहित हमारी तमाम परियोजनाओं पर इसका असर पड़ता है। हर साल भूस्खलन क्षेत्रों के उपचार में करोड़ों रुपये भी खर्च हो जाते हैं।

इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय एजेंसी जीएसआई ने अब इसके खतरों से निपटने के लिए रीजनल लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने की कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है। जीएसआई के उप महानिदेशक डॉ. हरीश बहुगुणा ने बताया कि रीजनल लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम को पश्चिम बंगाल के पर्वतीय क्षेत्र को भी शामिल किया गया है।

देश के इन चार जिलों में लगाया गया सिस्टम

Uttarakhand Latest News प्रयोग के तौर पर यह देश के जिलों में विकसित किया जा रहा है। इसमें उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले सहित नीलगिरि, दार्जिलिंग और कलिम्पोंग शामिल हैं। हालांकि, यह अभी प्रायोगिक तौर पर है। इसमें नक्शों सहित डाटा प्राप्त होता है। संस्थान ने भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में अपने उपकरण लगाए हैं। इन उपकरणों की सहायता से भूस्खलन की जानकारी दो से तीन दिन पहले मिल जाती है। अभी तहसील स्तर पर डाटा इकट्ठा किया जाता है, जिसे जिला प्रशासन को भेज दिया जाता है। फिलहाल यह डाटा जन समुदाय के लिए उपलब्ध नहीं है।

ये 11 राज्य हैं शामिल

उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, तमिलनाड़ू, हिमाचल प्रदेश, केरल, सिक्किम, असम, नागालैंड, मिजोरम, मेघालय और कर्नाटक।
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