एक बार फिर पांच साल में हुए , अंतरधार्मिक विवादों की फाइल खुलेगी पुलिस मुख्यालय ने मांगा ब्योरा।
उत्तराखण्ड में धार्मिक स्वतन्त्रता अधिनियम के लागू होने के बाद से अभी तक हुए सभी अंतरधार्मिक विवादों की फाइल एक बार फिर से खुलेगी। ये सभी मुददे युवतियों और किशोरियों के अपहरण से जुडें हैं।
उत्तराखण्ड में धार्मिक स्वतन्त्रता अधिनियम साल 2018 में शुरू हुआ था, इसके बाद भी यदि कोई व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता हैं , तो उसे एक महीनें पहले समबन्धित जिलें मजिस्ट्रेट से यहां आवेदन करना होता हैं। इसके बाद जांच होती हैं, यदि इसके बाद कोई विवाद नहीं हुआ, तो व्यक्ति को अनुमति दे दी जाती हैं।
धर्मिक स्वतन्त्रता अधिनियम के तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर कम सजा का प्रावधान था, जबकि साल 2022 में अधिनियम में संशोधित कर 50 हजार रूप्यें जुर्माना और 10 साल की सजा का नियम लागू कर दिया हैं। अब जो मामलें सामने आ रहें हैं , उनमें अधिनियम के तहत सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी।
अब एक बार फिर से उन मामलों की फाइल खोली जा रही है , जिनमें दूसरे धर्म की लड़की के अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया है। लेकिन, इसकी जांच अभी तक नहीं की गई , इनमें धर्म परिवर्तन कराया गया या दबाव डाला गया। केश दर्ज करा भी दिया गया, तो अनुमति ली गई या नहीं। अब इसकी फाइल खुलने के बाद ही जांच होगी और फिर इनके खिलाफ संशोधित अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।